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इतिहास

माँ भंगायनी मंदिर का इतिहास

भंगायणी माता मंदिर का इतिहास

मां भंगायणी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की सबसे शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। किंवदंतियों के अनुसार, शिरगुल महाराज को उस समय के एक मुगल राजा ने कैद कर लिया था,

जो महाराज की आध्यात्मिक शक्तियों से भयभीत था। मां भंगयानी के आशीर्वाद से बागड़ के राजा और गुगा पीर ने उन्हें आजादी दिलाने में मदद की। इस घटना को स्वर्णिम अध्यायों में दर्ज किया गया है और तब से माँ भंगायनी को शिरगुल महादेव की देव बहन के रूप में मनाया जाता है।


सिरमौर के हरिपुरधार में भंगायणी मंदिर

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां हर गांव में देवता विराजमान हैं। ईश्वर की शक्ति पर लोगों का अटूट विश्वास और श्रद्धा है। शिव शक्ति के अलावा ब्रह्मा, विष्णु, नाग, सिद्ध और पीर पैगम्बरों की पूजा प्राचीन काल से होती आ रही है।

अपने परिवार, पशुधन, कृषि, वनस्पति आदि की सुरक्षा के लिए, कई ग्रामीण देवी-देवताओं पर विश्वास करने और उनकी विधि-विधान से पूजा करने का रिवाज है। इस सुरम्य प्रदेश की छोटी-छोटी चोटियों से लेकर दुर्गम पर्वतों पर जहां भी नजर डालें, देवी-देवताओं के असंख्य मंदिर नजर आते हैं।


दूर दूर से आते है माता के भक्त

सिरमौर, सोलन व शिमला जिलों में देवी की बहुत अधिक मान्यता है। भूमि, विवाद, आपसी द्वेष व झगड़ों के निपटारे में इस देवी की सहायता ली जाती है।

अपार शक्ति तथा तत्काल दंड देने के कारण माता की दूर-दूर तक मान्यता है।


प्रचलित लोककथाओं में

यहां देवी के प्रकट होने को लेकर कई किंवदंतियां भी प्रचलित हैं। कथा के अनुसार एक बार देवता शिरगुल अन्य देवताओं और अपने दल के साथ दिल्ली भ्रमण पर निकले थे। वहां एक दुकान पर कुछ बर्तन आदि खरीदने लगा।

दुकानदार द्वारा दुकान का सारा सामान तराजू में रखने के बाद भी तराजू का पलड़ा एक तरफ झुका हुआ था। इस पर उन्हें शिरगुल देवता पर कोई चमत्कारी शक्ति होने का संदेह हुआ। कहा जाता है कि जब दुकानदार शिरगुल देवता से बहस करने लगा तो दुकान में रखे बर्तन अपने आप सड़कों पर लुढ़कने लगे।